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नकदी में बिक्री करने पर आईटी विभाग की नजर

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 28 Feb 2017   Posted by Admin

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कालेधन के खिलाफ कार्रवाई के दायरे को बढ़ाते हुए केंद्र सरकार उन कागजी कंपनियों पर शिकंजा कसने की तैयारी में है, जिन पर मनी लॉन्ड्रिंग में ऐक्टिव होने का शक है

By Staf Reporter/New Delhi

Income-taxनोटबंदी के दौरान अगर किसी दुकानदार ने कैश में ज्यादा खरीद और बिक्री दिखाई है या फिर अपनी बिक्री में बेनामी लोगों को समान बेचने की बात दिखाई हो तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इसकी छानबीन करेगा। सूत्रों की माने तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ऐसे मापदंड बनाए हैं जिसमें शक के दायरे में आने वाले लाखों खातों की जांच के बजाय सिर्फ जिन खातों पर शक गहरा हो उनकी जांच होगी।

नोटबंदी के दौरान नकदी बिक्री में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है और पिछले साल के मुकाबले नकदी बिक्री में बढ़ोतरी है। जिसके चलते दिसंबर के आखिर में एक बार से ज्यादा पुराने नोटों जमा करने वाले पर आईटी विभाग की नजर रह सकती है। आईटी विभाग उन खातों पर ध्यान देने वाली है जिन खातों पर पैसे ट्रांसफर किए जिन पर पहले कभी नहीं किया गया। वहीं 70 साल उम्र के टैक्सपेयर्स से 5 लाख रुपये तक के डिपॉजिट पर पूछताछ नहीं की जाएंगी।

कालेधन के खिलाफ कार्रवाई के दायरे को बढ़ाते हुए केंद्र सरकार उन कागजी कंपनियों पर शिकंजा कसने की तैयारी में है, जिन पर मनी लॉन्ड्रिंग में ऐक्टिव होने का शक है। ऐसी कंपनियों की संख्या 6 से 7 लाख तक हो सकती है। इनमें से कई कंपनियों ने बड़ी ट्रांजैक्शंस की हैं और नोटबंदी के बाद बैंकों में बड़े पैमाने पर कैश जमा कराया है। देश में करीब 15 लाख रजिस्टर्ड कंपनियां हैं, जिनमें से 40 फीसदी फर्म्स संदेह के दायरे में हैं। केंद्र सरकार ने ऐसी कंपनियों की जांच के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड समेत कई एजेंसियों की जिम्मेदारी दी है।
 
एक सीनियर आयकर अधिकारी ने बताया कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ऐसी कंपनियों के बारे में जानकारियां जुटाई हैं, जिन्होंने नोटबंदी के बाद बैंकों में बड़े पैमाने पर रकम जमा कराई है। 8 नवंबर को नोटबंदी के बाद से 30 दिसंबर तक नागरिकों और कंपनियों को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बैंकों में जमा कराने का वक्त दिया गया था। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का कहना है कि रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के समक्ष रिटर्न फाइल न करने की वजह से ये कंपनियां पहले से ही राडार पर थीं।
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